-अशोक गहलोत हमारे हीरो थे, हमारे हीरो है और हमारे हीरो रहेंगे, दिल्ली की गद्दी खड़गे को मुबारक, लोकतंत्र की हत्या कर लोकतंत्र समर्थक होने का नाटक करने वाले गांधी परिवार को आने वाला वक्त और इतिहास कभी माफ नहीं करेगा…शशि थरूर कहते रह गए कि उनके पास पार्टी को संभालने और आगे बढ़ाने का विजन है, मगर यहां तो यश मेम कहने वाला चाहिए, जय सोनिया गांधी, जय राहुल गांधी, जय प्रियंका गांधी और चरण वंदना करने वाले लीडर कम गुलाम चाहिए…अच्छा हुआ गहलोत ने अपना स्वाभिमान गिरवी नहीं रखा, कांग्रेस होने का मतलब गांधी परिवार ही नहीं होता, राहुल, सोनिया और प्रियंका से कहीं ज्यादा अशोक गहलोत ने कांग्रेस को सींचा है, अगर गांधी परिवार को कांग्रेस की फिक्र होती तो आज कांग्रेस इस तरह चौराहे पर जलील नहीं होती, राहुल बाबा करते रहो भारत जोड़ो यात्रा…अपनी पार्टी तो साध लो, फिर देश साधने का उपक्रम करना…शशि थरूर को ही अगर कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में स्वीकार कर लेती तो लगता किसी दमदार हाथों में पार्टी की कमान गई है, 80 साल के खड़गे की उम्र को ना भी कोसें लेकिन वो जीतने वाला जोश, वो जीतने वाला जुनून, वो पग-पग पर पाखंड का विरोध, कदम-कदम पर बोल्ड डिसिजन और परिस्थितियों के भंवर से निकालने वाला जीवट और जज्बे वाला लीडर कहां से लाओगे? अशोकजी तो गांधी परिवार के विलेन हो गए हैं, लेकिन गांधी परिवार अब देश के लिए हीरो नहीं रहा, वह खुद विलेन बन चुका है…राहुल बाबा नौटंकी छोड़ो और अपनी पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे का स्वागत करो…भाजपा कांग्रेस पर हंस रही है, गांधी परिवार की बुद्धिमानी पर ‘गर्व’ कर रही है, भाजपा की राह तो और आसान हो गई है, जब-जब कांग्रेस का इतिहास लिखा जाएगा यह गहलोत-सचिन और गांधी परिवार यानी आलाकमान का तीरकमान याद रखा जाएगा…कोई बात नहीं अशोकजी, जब तक राजस्थान की जनता का आपको प्यार है आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है, लोकतंत्र में जनता से बड़ी ताकत तो कोई गांधी परिवार भी नहीं होता, स्मृति ईरानी जैसी महिला जब राहुल बाबा को धूल चटा सकती है तो आने वाले 2024 में राहुल बाबा को सोचना ही पड़ेगा कि केरल के वायनाड से फिर लड़ेंगे या अमेठी से एक बार फिर भाग्य आजमाएंगे। खैर सुनीता भाभी ने अशोकजी आपको इशारों इशारों में समझा दिया है कि ‘ये शुभ घड़ियां’ ही है, आप राजस्थान की सेवा करते रहें, उसी जोश से, उसी जुनून से, उसी तरह प्यार राजस्थान पर लुटाते रहें, राजस्थान के इस एपिसोड के बाद हम यही कहेंगे अशाेकजी को- बाबूजी धीरे चलना, प्यार में जरा संभलना, हां, बड़े धोखे हैं इस राह में…
‘ये शुभ घड़ियां’ एक राजस्थानी महिला अपने पति को संकेतों में कह रही है कि वक्त शोक का नहीं है, वक्त तो आज भी अशोक का है...





उदित भास्कर डाॅट
कॉम की एडिटर इन चीफ राखी पुरोहित की कलम से
सुनीता जी गाना गा रही है ‘ये शुभ घड़ियां’ उनका यह चेहरा पहले सामने नहीं
आया। उन्होंने यह पहला गीत ही अपने यू-ट्यूब चैनल पर गाया…दरअसल यह गाना नहीं
आह्वान है अशोकजी का…एक भारतीय महिला, एक राजस्थानी महिला अपने
पति को आश्वस्त कर रही है कि अभी सबकुछ खत्म नहीं हुआ है, हर हाल में खुश रहो…वक्त शोक करने का
कतई नहीं है, कभी कभी परिस्थितियां ऐसी खड़ी हो ही जाती है, अगर आदमी समझौता कर लेता
है तो उसे कायर ही कहा जाएगा और अगर समझदारी दिखाए, अपनी भावनाएं बताएं तो उसे खलनायक
कह दिया जाता है, ये मीडिया है जनाब अलसुबह को भी अंधेरा कह देता है और पूर्णिमा की
रात को भी सुबह कह देता है…इसलिए अपने कर्म पथ पर बढ़ते रहें, मीडिया
को अपने अपने ढंग से व्याख्या करने दो, अशोकजी को अब और सावधान होकर काम करने की जरूरत
है।
सावधानी राजस्थान की जनता से नहीं, बल्कि गांधी परिवार से सावधान रहने
की जरूरत है। क्योंकि अशोकजी राजस्थान के विधायकों ने आपके प्रति प्रेम जताकर और पायलट
के खिलाफ नाराजगी दिखाकर राहुल बाबा और मेडम सोनिया की दुखती रग पर हाथ रख दिया है।
अब कांग्रेस के स्वाभिमानी, खुद्दार और समझदार लीडर्स को यह समझ लेना चाहिए कि या तो
गुलाम नबी आजाद की तरह गांधी परिवार से आजाद हो जाओ या फिर एक घुटन भरी राजनीतिक रात्रि
में परतंत्र सुबह के इंतजार में अपने स्वाभिमान की खुद ही हत्या करते जाओ…यहां एक लाइन का
प्रस्ताव ही पारित होना है तो काहे का लोकतंत्र का राग अलापते हो, काहे का अध्यक्ष
चुनाव का पाखंड रचते हो, जो अशोक गहलोत कुछ दिनों पहले नेशनल हीरो थे, वे अब खलनायक
हो गए क्योंकि उन्होंने अपनी भावनाओं का इजहार जो कर डाला…अगर अपनी भावनाएं
बताना आलाकमान का अपमान होता है तो यह लोकतंत्र और चुनाव की आदर्श बातें क्यों करते
हो?
अशोकजी बढ़े चलो…देश के बारे में भी आपको सोचना है,
फिर परिस्थितियां आएगी, एक दिन आएगा जब आपको प्रधानमंत्री का चेहरा बताकर देश में कांग्रेस
को चुनाव लड़ना पड़ेगा, अभी आपको राजस्थान जैसे कई नाटकों का सामना करना पड़ेगा, राजनीति
में अगर आपने अपनी छवि बेदाग रखी है, अपनी कॉलर साफ रखी है, अपने दामन को साफ रखा है
तो यह आपका राजनीतिक चरित्र है, यह चरित्र ही आपको आगे बढ़ने की राह देगा, आपको अभी
लंबा चलना है, यह दौड़ अभी खत्म नहीं हुई है, सभी रास्ते अभी बंद नहीं हुए हैं, हम कांग्रेस
के देशभर के कार्यकर्ताओं और देश भर के कांग्रेस लीडर का आह्वान करते हैं कि आलाकमान
नामक संस्था का विरोध करें, साफ-साफ कहें कि कांग्रेस का मतलब गांधी परिवार ही नहीं
होता, पूरा देश कांग्रेस से जुड़ा है इसलिए अपने हृदय पर हाथ रखकर, अपने मस्तिष्क की
सारी ग्रंथियां खोलकर और विवेक के साथ फैसला करें और पूरी ताकत के साथ अपना नेता चुनें।
हमारे यह समझ में नहीं आता कि खड़गे कांग्रेस की चेतना को जगाए या नहीं जगाए पर पूरा
देश एक लकीर पर क्यों चलने लगता है? क्यों गांधी परिवार की पसंद समझकर वोट दिया जाता
है। अरे अपने विवेक का इस्तेमाल क्यों नहीं करते? अगर ऐसे ही जय सोनिया गांधी, जय राहुल
गांधी और जय प्रियंका गांधी करनी है तो खड़गे के नाम पर मोहर लगाकर इस 130 करोड़ देश
की जनता को मूर्ख क्याें बना रहे हो? अगर कांग्रेस का कार्यकर्ता आवाज नहीं उठाएगा
तो भाजपा के बाणों का मुकाबला कैसे कर पाएंगे। भाजपा में एक नरेंद्र मोदी ही भीष्म
पितामह के बराबर ताकत रखता है। हम भाजपा को कौरव सेना बताने नहीं जा रहे हैं और हम
भाजपा को पांडव भी नहीं कह रहे हैं, भीष्म पितामह नरेंद्र मोदी को एक प्रतीकात्मक बता
रहे हैं। सिर्फ ये बताने के लिए कि मोदी में कितनी ताकत है। ऐसी ताकतों का मुकाबला
करने के लिए कांग्रेस खड़गे पर दांव खेलकर सही कर रही है? सोचो कांग्रेसियों, सोचो…क्या आप गांधी परिवार
का मोहरा नहीं बन रहे हो। अगर गांधी परिवार को ही सपोर्ट करना है तो यह अध्यक्ष चुनने
का नाटक क्यों? अशोक गहलोत तो हजार बार कह चुके हैं कि राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष
बने। वो आंख मारने वाला छोरा फिर पूरे देश के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को आंख मार रहा
है और कांग्रेसी कार्यकर्ता समझ नहीं पा रहे। हम उदित भास्कर डाॅट कॉम के माध्यम से
लगातार देश की जनता के सामने अपने विचार रख रहे हैं। हम वो सबकुछ दिल से लिखते हैं
जो हम देश की मौजूदा परिस्थितियों में उचित समझते हैं। हमारा अशोक गहलोत से कोई टाइअप
नहीं हुआ है। हम नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी नहीं हैं। हमारी राहुल बाबा से, मेडम सोनिया
से और बहन प्रियंका से कोई जातीय दुश्मनी नहीं है। हम तो कांग्रेस के लाखों कार्यकर्ताओं
का आह्वान करते हैं कि अपने अंतर्मन पर हाथ रखें और आने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय
अध्यक्ष के चुनाव में अगर चुनना ही है तो शशि थरूर को नेता चुने। खड़गे अब खड़गहस्त नहीं
रख पाएंगे। खड़ग चलानी है और पार्टी को बचाना है तो शशि थरूर को आगे लाना होगा। अशोक
गहलोत को हम फिर नए ढंग से देश की राजनीति में आने की सलाह देते हुए इस अध्यक्ष चुनाव
में शशि थरूर को चुनने का आह्वान करते हैं। अगर कांग्रेस को गांधी परिवार से आजादी
दिलानी है और कांग्रेस को सत्ता में लौटाने की ताकत देनी है तो शशि को सूरज बनने दो।
मौजूदा हालात में कांग्रेस के हजारों-लाखों कार्यकर्ताओं के हाथ में यही एक विकल्प
है। लेकिन हम साफ कहना चाहेंगे कि लोकसभा के चुनाव में अगर अशोक गहलोत को प्रधानमंत्री
का चेहरा बनाया जाएगा तो कांग्रेस फिर जीत की ओर अग्रसर होगी। हमारा देश के कांग्रेसियों
से आग्रह है कि कांग्रेस को बचाना है तो शशि थरूर को जरूर लाओ। यही कांग्रेस के हित
में है। अगर कांग्रेस का आम कार्यकर्ता खड़गे को ही लाना चाहता है तो हम यह समझेंगे
कि कार्यकर्ता बंधुआ मजदूर सी जिंदगी जीना सीख गया है। फिर हम कुछ भी नहीं कहना चाहेंगे।
लीडर ऐसा होना चाहिए जो हारती सेना को जीत की ओर अग्रसर कर दें। ऐसा लीडर किस काम का
जो सेना में जोश ना भर सके। इस देश को और इस देश की कांग्रेस को ऐसा लीडर चाहिए जो
सही मायने में पार्टी का तारनहार हो।
अब बात राजस्थान की करें। राजस्थान के मुख्यमंत्री की करें। अशोकजी के
साथ विधायक अपना समर्थन बता चुके हैं। अस्सी से ज्यादा विधायक अपना इस्तीफा सौंप चुके
हैं। कांग्रेस का तथाकथित आलाकमान फिर ऑब्जर्वर की नौटंकी कर रहा है। ऐसे ही छद्म नाटक
चलते रहे तो काम करने वाले लीडर्स के लिए और लोकतंत्रात्मक प्रक्रिया के लिए संकट खड़ा
हो जाएगा। ऐसे में हम राजस्थान के सभी कांग्रेस विधायकों से आग्रह करेंगे कि अशोक जी
का साथ ना छोड़ें। जो आपने अशोकजी में विश्वास जताया है उसे कायम रखना। चाहे कैसी भी
परिस्थितियां सामने आए, अपने शुभचिंतक नेता को बीच राह में ना छोड़ें। पार्टी नेता नहीं
बनाती, नेता पार्टी को बनाता है। इसलिए पार्टी को नहीं नेता को चुनें। राजनीति में
पार्टियां बाद में बनी, पहले तो हमेशा नेता बनता आया है। इसलिए पार्टी की रीति-नीति
को, पार्टी की पाखड़ी परंपराओं को सहन मत कीजिए। पार्टी का विद्रोह करना भी लोकतंत्र
का हिस्सा है। अगर पार्टी की ही बात माननी है और अपने नेता को शर्मिंदा करना है तो
अशोकजी के साथ यह अन्याय ना करें। अशोकजी जैसे लीडर धरती पर बार-बार नहीं आते। इसलिए
राजस्थान की जनता और राजस्थान के कांग्रेस विधायकों से आग्रह है कि अपने नेता को ताकत
प्रदान करें। उनके हौसले को बनाए रखें। मुश्किल वक्त में उनका साथ दें। आपका थोड़ा सा
सपोर्ट अशोक गहलोत की ताकत बनेगा। आप पहले भी उनकी ताकत बने हो और एक बार फिर अशोकजी
पर पूरा प्यार लुटा दें।