-चलता हूं जमीं पर आसमां पै निगाहे हैं, हरबार थाम लेती मुझे वह किसकी बाहें हैं, सफर का कोई हमसफर नहीं, मंजिल ना जाने कितनी दूर, ना थकना है, ना रुकना है, अभी तो हौसला है भरपूर, कल की स्याही कब मिटेगी, किताब के सफे कुम्हलाए हैं…चलता हूं जमीं पर आसमां पर निगाहे हैं…मेरे पति डीके पुरोहित की ये पंक्तियां आज अचानक स्मरण हो आई…अशोकजी आपको अब ऐसे ही चलना है, मंजिल दूर है, आसमां गीला है, मौसम भड़कीला है, दिशाएं भ्रमजाल फैला रही है, राहें कंटीली है, पंछी को अनंत आसमां का सीमा चीरना है, साजिशों का दौर होगा, विरोधियों का शोर होगा, दुश्मन हर ओर होगा, अपनों और दुश्मनों के बीच फर्क करना होगा, साथियों को पहचानना होगा, अपनी वाणी से, अपनी करनी से, अपनी संवेदनाओं से, अपनी योजनाओं से, अपने विवेक से, अपने भावों से, इस देश की संस्कृति से, राजनीति की विकृति से, राजनीति का अजातशत्रु केवल अशोक गहलोत है, इसे अब साबित करने का समय आ गया है…एक एक भविष्वाणी को सच करने का नाम गहलोत है, एक नारा खूब चला था- मोदी है तो मुमकीन है, अब नया नारा होगा- गहलोत है तो क्या गम है…हिन्दुस्तान के आसमां पर यह नारा इस तरह छा जाना चाहिए कि 2024 की तस्वीर पर कांग्रेस का रंग भर जाए… जब जब आपके कदम डगमगाने लगे, याद करें राजस्थान की माटी का शौर्य, जिस माटी के कण-कण में वीरता की गाथाएं समाई हुई है उस माटी को माथे पर लगाकर भारत के आकाश पर नया सूरज उदय करना है, यह सूर्य एक नए युग का होगा, गहलोत युग का, देश का आह्वान कुछ इस तरह कीजिए- कांग्रेस के अच्छे दिन, देश के स्वर्णिम दिन आ गए हैं…पूरी हंसी और पूरे विश्वास की मुस्कान के साथ देश को आश्वस्त कर दो कि अब गहलोत आ रहे हैं, गेम बदलेगा, विनर बनेगा भारत, कांग्रेस की झोली में 400 सीटें आएंगी। पूरे देश में फिर कांग्रेस का परचम होगा, जब कोई पार्टी 2 से साढ़े तीन सौ हो सकती है तो कांग्रेस तो अपने आपमें अजैय रही है, फिर कांग्रेस का वैभव लौटाना है, हिन्दुस्तान की जनता को भरोसा दे दो कि वे देंगे सुशासन, वे बनाएंगे देश को सशक्त, युवाओं के सपनों को साकार करेंगे, महिलाओं की सुरक्षा होगी, किसानों की झोली भरेगी, मजदूर काे जीने का हक मिलेगा, बच्चों को खुलकर हंसने और खिलने का मौका मिलेगा, बाल मजदूरी खत्म होगी, स्कूलों में बच्चों की किलकारियां गूंजेगी, कोई व्यक्ति भूखा नहीं साेएगा, इंदिरा रसोई पूरे हिन्दुस्तान में खुलेगी, रोजगार की गांरटी पूरे देश को मिलेगी, बुजुर्गों का जो अपमान करेगा ऐसे कपूत बेटों-बहुओं को जेल होगी, सामाजिक ताना-बाना मजबूत होगा, जिस तरह आप राजस्थान की जनता के दुख-सुख में शामिल होते रहे हो, उसी तरह पूरा हिन्दुस्तान आपकी ओर आशा भरी नजरों से देख रहा है, मोदी का महिमा मंडन मीडिया ने किया, ऐसा किया कि बच्चा-बच्चा मोदी कहने लगा, आपके साथ इस देश का मीडिया नहीं है, लेकिन उदित भास्कर डॉट कॉम इस देश की जनता का आह्वान करता है कि अपना प्यार और आशीर्वाद गहलोत को पूरी तरह लुटा दें, जो प्यार आपने मोदी को दिया वही बात अब अशोक गहलोत के लिए भी होनी चाहिए। बेशक देश का पूंजीवादी मीडिया गहलोत को हतोत्साहित कर रहा है, बड़े-बड़े चैनल और बड़े-बड़े अखबार गहलोत को घेरने की कोशिश करते रहे, लेकिन सोनिया गांधी ने संयम दिखाया, समझदारी दिखाई और आज हम फिर से सोनिया को सावधान करते हुए कहना चाहेंगे कि अब डेढ-दो साल के लिए राहुल बाबा, बहन प्रियंका, खुद मेडम आप शांत हो जाइए, गहलोत को खेलने दो, अगर आप उन्हें खुलकर खेलने से रोकेंगे तो कैसे अगला आदमी काम करेगा। अब बस, बस, बस, बस मेडम अब बस…अशोक गहलोत को अपना रास्ता खुद गढ़ने दो…2024 में ही गहलोत की गर्वोक्ति होनी चाहिए। समय कम है, इसलिए जब समय कम हो तो डबल जोश से खेलना चाहिए…
2024 में गहलोत का जादू चलेगा, देश में राजस्थान का लाल नया सूरज उदय करेगा





उदित भास्कर डॉट
कॉम की एडिटर-इन-चीफ राखी पुरोहित की कलम से
अंत भला तो सब भला…पिछले दो-तीन दिन से चल रहा घटनाक्रम
अब थमना चाहिए…कांग्रेस के आकाओं को, कांग्रेस के शुभचिंतकों को, कांग्रेस
के महत्वाकांक्षी युवा लीडरों को, साफ-साफ कहें तो राहुल बाबा और पायलट भैया को अब
संयम से काम लेना चाहिए…अब जब अंत अच्छा होने जा रहा है तो फिर कोई
विघ्न खड़ा ना करें…ये लड़ाई अंधेरे और उजाले के बीच नहीं है,
ये लड़ाई उजाले की उजाले से है…भाजपा इतनी कमजोर पार्टी नहीं है,
उसके लीडर यानी मोदी को पूरा देश चाहता है, युवा वर्ग तो मोदी के अलावा कोई बात सुनना
ही नहीं चाहता, कोई नहीं कह रहा कि मोदी ने अच्छे काम नहीं किए, मोदी का सम्मान पूरी
दुनिया करती है, और पूरी दुनिया में सबसे अधिक पॉपुलर का खिताब मिलना मोदी की बड़ी उपलब्धि
है, जो छवि जवाहरलाल नेहरू और आयरन लेडी इंदिरा गांधी की विदेशों में रही है, वैसी
छवि नरेंद्र मोदी ने अपने पौरूष से, अपने विजन से, अपने आत्मविश्वास से और अपने देश
के लोगों के प्यार से दुनिया में बनाई है, मोदी और गहलोत दोनों को देश की जनता चाहती
है, दोनों के काम को देश की जनता जानती है, मोदी आक्रामक लीडर है तो गहलोत शांत-गंभीर
और संवेदनशील लीडर है, मोदी मौसम को पलभर में बदल देते हैं तो गहलोत बदलते मौसम को
पहले ही भांप लेते हैं और अपने कार्यों से मौसम की मार का असर कुंद कर देते हैं, यानी
मोदी अगर देश की जनता को अपनी राजनीति से अपनी ओर खींच लेते हैं तो गहलोत की तो चुप्पी
ही देश को आश्वासन दे जाती है…दोनों लीडर के बीच जमीन आसमान का
फर्क है, लेकिन ये भी साफ है कि दोनों की नीयत में कोई खोट नहीं है, दोनों के पास अपना-अपना
विजन है, दोनों की क्षमताएं असीमित है, दोनों में समंदर की धाराओं के विरुद्ध तैरने
की क्षमताएं हैं, इसलिए देशवासियों गुजरात के लाल को आपने देश का भाल बनाया है तो राजस्थान
के शेर को भी शिखर पर बिठाएं, यह इस देश की जनता से हमारी अपील है। उदित भास्कर डॉट
कॉम इस देश की जनता को बताना चाहता है कि वे मोदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन वे गहलोत
के खिलाफ भी नहीं है, जो प्यार गुजरात से निकले मोदी को आपने दिया वही प्यार 2024 में
गहलोत को दें, दस साल मोदी को हो जाएंगे तो अब गहलोत को भी आजमाने का प्रण ले लें।
अगर गहलोत से निराशा हाथ लगे तो फिर से मोदी को पूरा हिन्दुस्तान सौंप दें, लेकिन अब
जब गहलोत हिन्दुस्तान की नई तकदीर लिखने जा रहे हैं तो हे देशवासियों राजस्थान के इस
सिपाही को अपना शौर्य दिखानें दें।
हम उदित भास्कर डॉट कॉम के पाठकों को जो कि काफी कम है, लेकिन जितने भी
हैं उनसे आग्रह और विनती करते हैं कि हमारी अर्जी पूरे देश की जनता तक पहुंचा दें और
गहलोत है तो क्या गम है का नारा बुलंद कर दें। इस देश की मीडिया चाहे गहलोत और कांग्रेस
के खिलाफ चले और कितना ही जोर लगा ले लेकिन एक मौन जनता की ताकत कितनी है, यह आने वाले
2024 के इलेक्शन में दिखनी चाहिए। इस देश को इस देश का पूंजीवादी मीडिया अपने तेजतरार
एंकरों के भरोसे नहीं नचा सकता। नेताओं को तो ये एंकर चुप करा देंगे लेकिन अब देश की
जनता के लिए जागने का समय है, जनता जागे और मीडिया की लहर के विपरीत अपने विवेक से
गहलोत का इस्तकबाल करें। चाहे हिन्दुस्तान का प्रिंट मीडिया, डिजिटल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक
मीडिया कुछ भी लिखें उन्हें लिखने दो, हम हमारे छोटे से इस पोर्टल के माध्यम से इस
देश की जनता का आह्वान करते हैं कि 2024 में गहलोत को हिन्दुस्तान का ताज सौंप दें।
अब हम कांग्रेस से भी कुछ संवाद करना चाहेंगे। कांग्रेस का आज यह हाल क्यों
हुआ? सोनिया गांधी भी वही है, राहुल बाबा भी वही है, कमलनाथ, शशि थरूर, दिग्विजय सिंह,
गुलाब नमी आजाद और देश के तमाम कांग्रेस लीडर भी वही है, फिर कांग्रेस का यह हाल क्यों
हुआ? कमी कांग्रेस के लीडरों में नहीं हैं, कमी कांग्रेस की परंपराओं में है, कमी देश
के मिजाज को समझ नहीं पाने की है, मोदी युग का जब उदय हुआ तो हिन्दुवादी ताकतों को
उन्होंने भुनाने के लिए जो साम-दाम-दंड की नीति अपनाई तो कांग्रेस का परंपरागत वोट
बैंक भी धराशाही हो गया…मुस्लिम वोट बैंक भलेही उतना ना खिसका हो
मगर दलित और गरीब वर्ग कांग्रेस से टूटता गया…क्यों, यह सब कुछ
अकस्मात नहीं हुआ, याद कीजिए भाजपा की देश में केवल दो सीटें होती थी और जब अटलबिहारी
वाजपेयी 13 दिन के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने संसद में साफ-साफ कहा- लोकतंत्र संख्या
का खेल है और संख्या हमारे पक्ष में नहीं है इसलिए हम जनादेश का सम्मान करते हैं और
अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंपने जा रहे हैं…उस समय अटलबिहारी
वाजपेयी एक तरफ थे और कांग्रेस और तमाम तथाकथित सैक्युलर पार्टियां एक तरफ थीं, फिर
चुनाव हुए और अटलबिहारी फिर प्रधानमंत्री बने, कुल तीन बार बने…। क्यों, भाजपा
को सत्ता की ओर अग्रसर करने वाला एक ही शख्स है लालकृष्ण आडवानी…आडवानी की रथयात्रा
के बाद देश में हिन्दुत्व का माहौल बना, लेकिन वो दौर ऐसा दौर था जब सैक्युलर चेहरे
की जरूरत थी तब आडवानी को मन मारकर अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री का चेहरा बनते
देखना पड़ा…उस समय यह बात मीडिया में जोर शोर से उछली की भाजपा के
पास प्रधानमंत्री का चेहरा केवल अटलबिहारी वाजपेयी ही है…वाजपेयी युग समाप्त
हुआ और देश में दस साल तक मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री रहे, सोनिया चाहती तो प्रधानमंत्री
बन सकती थी, लेकिन वो परिस्थितियां अलग थीं। राहुल प्रियंका छोटे थे या कहें कि उतना
परिपक्व नहीं थे (आज भी राहुल बाबा कब संसद में आंख मार दे जैसी हरकतें कर दें कह नहीं
सकते) और फिर सोनिया गांधी ने भी संयम और समझदारी से काम लिया…प्रधानमंत्री भलेही
मनमोहन सिंह थे, मगर सब जानते हैं सोनिया की मर्जी की कभी अनदेखी नहीं हुई…इस बीच भाजपा के
पास कोई लीडर नहीं था जो उन्हें फिर से सत्ता में ले आए, अटल बिहारी की उम्र अधिक हो
गई थी और वे उतने ऊर्जावान नहीं रहे, ऐसे में भाजपा ने हिंदुत्व का कार्ड खेला और गुजरात
से मोदी नाम के मुख्यमंत्री को उठाकर देश की राजनीति के शिखर पर बिठा दिया। मीडिया
ने रातों रात मोदी को हीरो बना दिया। सारा मीडिया जगत मोदी के कसीदे कढ़ने लगा। पूंजीवादी
ताकतों ने खासकर पूंजीवादी मीडिया ने मोदी को अपना सपोर्ट दिया। आज भी देश की अधिकतर
मीडिया गोदी मीडिया हो गया है। हम यहां स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हमें नरेंद्र मोदी
से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन हम केवल गहलोत को प्रमोट करने के लिए यह सब आईना देश
के सामने रखना चाहते हैं। मोदी ने जो किया वो देश के लिए क्रांतिकारी कदम रहे हैं,
इसका जिक्र हम फिर किसी मंच से यानी समय आने पर करेंगे। अभी हमारा ध्यान केवल गहलोत
पर हैं। इस देश की पूंजीवादी मीडिया जब सच को सच ना लिखे तो हमें यह गहलोत पुराण लिखना
ही पड़ेगा। गहलोत पुराण इसलिए जरूरी है क्योंकि देश की कुछ समस्याओं का हल हुआ है, अभी
मूलभूत समस्याओं का हल नहीं हुआ है। अपराध मनुष्य की फितरत है। राजस्थान में अपराध
घटे या बढ़े इसमें सरकारों का योगदान नहीं है क्योंकि सरकार तो कानून बना सकती है, कानून
का पालन करवा सकती है, लेकिन जब तक मनुष्य के मस्तिष्क की ग्रंथियां सही नहीं होगी
तब तक अपराध कम नहीं होंगे। कई बार तो अपराध प्रायोजित भी हो जाते हैं। विपक्षी पार्टियां
प्रायोजित अपराध भी करवा देती है। कई बार कई परिस्थितियां ऐसी हो जाती है कि अपराध
हो जाते हैं। पर हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि गहलोत सरकार की नीयत में कभी खोट नहीं
रही है। अपराध पूरे देश में हो रहे हैं और यह मनुष्य की ग्रंथी जब तक शांत नहीं होगी
तब तक होते रहेंगे, इसमें सरकारों का वश नहीं है। वह तो केवल अपराध न हो पाए और हो
जाए तो सजा तक काम कर सकती है। मनुष्य के दिमाग का हल किसी सरकार के पास नहीं है। हम
अपराधों का समर्थन नहीं कर रहे हैं। हम तो यही कहना चाहते हैं कि मन की अवस्था कैसी
है उसी में अपराध घटित जाते हैं।
अब कांग्रेस से संवाद करते हुए कहना चाहेंगे कि सारे परिदृश्य को देखते
हुए अशोक गहलोत को कमजोर बनाने का उपक्रम मत करो। अगर गहलोत पर भरोसा करके राष्ट्रीय
अध्यक्ष बनाने का सोचा है तो उन्हें पूरी तरह काम करने दो। वो जो करना चाहे करने दो।
जब आप उनके पैरों में जंजीर डाल दो और फिर दौड़ने का कहो…ये दोनों चीजें
एक साथ नहीं हो सकती। या तो गहलोत को पहले से ही बांध कर रख दो और कह दो भैया आप राष्ट्रीय
अध्यक्ष बनने के लायक नहीं हो, अपनी हद में ही रहाे। अगर गहलोत पर भरोसा किया है तो
पूरा देश और पूरी कांग्रेस भरोसा करे। सचिन पायलट यह बता दें कि गहलोत ने मुख्यमंत्री
रहते हुए जनता की भलाई के काम किए हैं या नहीं और ऐसा क्या है कि सचिन मुख्यमंत्री
बनकर गहलोत से बेहतर शासन दे सकते हैं। अगर उनके पास आइडिया है, विजन है, कोई सुझाव
है तो वे तो कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं, फिर उनके काम
की अनदेखी कभी हुई तो वे गहलोत को प्यार और अधिकारपूर्वक बता भी सकते थे। लेकिन सचिन
अचानक महत्वाकांक्षी हो गए। अब घर की बात करें तो पिता के होते हुए बेटा अपने पिता
की हत्या कर खुद घर का मुखिया बन जाए ऐसा आमतौर पर हमारे सभ्य समाज में होता नहीं है।
पिता का जब बेटा ही मन जीत ले तो वे खुद ही अपनी विरासत उन्हें सौंप देते हैं। अशोक
गहलोत सचिन के पिता समान रहे हैं और उनकी बगैर कोई गलती खुद गहलोत को हटवाकर मुख्यमंत्री
बनने का सपना पाला। सपना देखना गलत नहीं है, लेकिन इसके लिए पार्टी से गद्दारी तो वे
कर ही चुके हैं। राहुल गांधी उम्र के जिस दौर से गुजर रहे हैं उस दौर में उन्हें हो
सकता है बुजुर्ग पसंद ना हो और युवाओं की वे वकालत करते करते युवा सचिन को मुख्यमंत्री
बनाने का आश्वासन दे आए हो। मगर युवा उम्र में ही गलतियां होती है। इसलिए सोनिया मेडम
आप राहुल बाबा से प्यार करें, उनका घर बसाएं और उन्हें कुछ समय तक कहें कि भारत जोड़ो
यात्रा की बजाय फैमिली बसाने की कवायद शुरू कर दें। फुटबाल खेलें बेशक खेलें लेकिन
कांग्रेस में आत्मघाती गोल ना होने दें। सोनिया मेडम आप महत्वाकांक्षी नहीं हैं। आपमें
बहुत ही संयम है। आप परिस्थतियों को समझें। ममत्व में आकर डिसिजन ना लें। राहुल बाबा
को कहें कि कुछ समय तक शांत रहें। अब बात बहुत लंबी हो रही है। हम अपने शब्दों को विराम
देने जा रहे हैं और कांग्रेस से हमारा यही आग्रह है कि अशोक गहलोत युग की अगुवानी करें।
नादानियों को अनदेखी करें और यही कहेंगे अंत भला तो सब भला…यानी कांग्रेस को
जिंदा रखना है तो परिवारवाद से ऊपर उठ देश का सोच रखें। अभी राह बहुत मुश्किल है। अगर
गहलोत के अलावा आपके पास कोई तारनहार है तो अभी भी गहलोत को शर्मिंदा करने की बजाय
उन्हें जहां हैं वहीं रोक दें। अब गहलोत की बार-बार किरकिरी ना करें।