कवि-कथाकार-आलोचक मीठेश निर्मोही को दीर्घकालिक श्रेष्ठ साहित्य सृजन के लिए साहित्य शिरोमणि अलंकरण मिला

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-जनार्दन राय राजस्थान विद्यापीठ उदयपुर की ओर से आईटी सभागार में पृथ्वीराज रासौ के उद्गारकर्ता मनीषी कविराव मोहनसिंह की स्मृति में मीडिया के सरोकार और उसकी प्रतिबद्धताएं विषय पर राष्ट्रीय व्याख्यान के दौरान मिला सम्मान

उदित भास्कर डॉट कॉम. उदयपुर

जनार्दन राय राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) ,उदयपुर  की ओर से उदयपुर  स्थित  'आईटी  सभागार' में मेवाड़ के अंतिम राजकवि तथा हिन्दी के आदि महाकाव्य 'पृथ्वीराज रासौ' के  उद्धारकर्ता मनीषी कविराव मोहनसिंह की स्मृति में ‘मीडिया के सरोकार और उसकी प्रतिबद्धताएं‘ विषय पर राष्ट्रीय व्याख्यान एवं सम्मान समर्पण समारोह सम्पन्न हुआ समारोह  में  राजस्थानी और हिन्दी के सुप्रतिष्ठ  कवि,कथाकार, आलोचक  एवं  अनुवादक मीठेश निर्मोही को उनकी दीर्घकालिक श्रेष्ठ  साहित्य सृजना एवं  अनुवाद   के लिए  'साहित्य शिरोमणि'  अलंकरण  से  समादृत किया  गया।

समारोह  में  विश्वविद्यालय द्वारा  संचालित  'कवि राव मोहन सिंह पीठ के अध्यक्ष  डाॅ.उग्र सेन राव ने साहित्यकार  निर्मोही  के  व्यक्तित्व एवं कृतित्व को रेखांकित किया। साहित्य  संस्थान'  के निदेशक प्रोफेसर  जीवन सिंह  खरकवाल ने साहित्यकार मीठेश निर्मोही को  माल्यार्पण कर तथा समारोह के अध्यक्ष  राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) के कुलपति कर्नल प्रोफेसर  (डाॅ.) एसएस सारंगदेवोत, मुख्य अतिथि राजस्थान  विद्यापीठ  के कुलप्रमुख  बीएल  गुर्जर, विशिष्ट अतिथि  राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर के अध्यक्ष डाॅ. दुलाराम सहारण,  प्रख्यात  साहित्यकार एवं चिंतक  किशन दाधीच एवं राजस्थान विद्यापीठ के रजिस्ट्रार डाॅ. हेमशंकर दाधीच ने  साहित्यकार मीठेश निर्मोही को  प्रशस्ति पत्र,शाॅल, स्मृति चिह्न भेंट कर 'साहित्य शिरोमणि अलंकरण'  से विभूषित किया

इस अवसर पर सम्मानित कवि निर्मोही ने कहा कि इस सम्मान को पाकर मैं गौरवान्वित और आह्लादित हूं ।  जिस संस्थान के  संस्थापक प्रख्यात साहित्यकार, चिंतक-विचारक,शिक्षाविद, स्वाधीनता सेनानी मनीषी पंडित जनार्दन नागर  रहे हों, उस संस्थान  से समादृत या अलंकृत  होना निश्चय ही हर  किसी  साहित्यकार  के लिए गौरवपूर्ण तथा सम्मानजनक है। इस लिए  मेरा आह्लादित  होना  भी स्वाभाविक ही है ।मैं  निर्णायक मंडल एवं विश्वविद्यालय के कुलपति कर्नल प्रोफेसर एसएस सारंगदेवोत  के प्रति आदरभाव एवं कृतज्ञता  ज्ञापित  करता  हूं । इस अवसर उन्होंने अपनी राजस्थानी और हिन्दी की चुनिंदा  कविताओं का पाठ किया, जिसे खूब सराहा गया। इस अवसर पर उन्होंने  विद्यापीठ  के कुलपति  से  चौपासनी शोध संस्थान, जोधपुर में रखे हुए कविराव मोहनसिंह की हस्तलिखित पाण्डुलिपियों को प्रकाशित कराने का आग्रह भी किया । 

इस अवसर पर अतिथियों द्वारा डाॅ.उग्र सेन राव कृत 'कविराव मोहन सिंह व्यक्तित्व एवं कृतित्व ' पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया। समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार गोविन्द माथुर, जयपुर, हितेश व्यास, कोटा, माधव नागदा राजसमंद, लेखिका प्रो. सरवत खान, तराणा परवीन, डीएस पालीवाल, कृषि सलाहकार प्रो.  आईजी माथुर, चितरंजन नागदा, डॉ. प्रकाश शर्मा, डॉ. मानसिंह, डॉ. दिनेश शर्मा, डॉ. प्रियंका सोनी सहित विद्यापीठ के डीन डायरेक्टर व शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। समारोह का  संचालन डॉ. कुल शेखर व्यास ने तथा  रजिस्ट्रार डॉ. हेमशंकर दाधीच ने आभार ज्ञापित किया। ज्ञातव्य  रहे कि मीठेश निर्मोही जोधपुर विश्वविद्यालय, जोधपुर से प्रथम श्रेणी से दर्शन शास्त्र में  एम .ए  तथा जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय ,जोधपुर से प्रथम श्रेणी प्रथम स्थान (तीन गोल्ड मेडल) से   राजस्थानी साहित्य में एमए हैं । आप  राजस्थानी भाषा के  संवैधानिक मान्यता के आन्दोलन से भी  सक्रिय  रूप  से जुड़े  हुए हैं । आपने राजस्थानी साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका " आगूंच " का  वर्षों तक संपादन भी  किया है। आपके राजस्थानी में "आपै रै ओळै ओळै-दोळै " तथा "मुगती" (कविता संग्रह ), अमावस, एकम अर चांद (कहानी संग्रह), आधुनिक राजस्थानी कवितावां, आज री राजस्थानी कहांणियां, तथा राजस्थानी साहित्य पद्य संग्रह (संपादित ) और हिन्दी में  "चेहरों की तख्तियों पर " एवं " चिड़िया भर शब्द " (कविता संग्रह)  तथा " शब्द की संगत " ( संपादित कविता संग्रह)  प्रकाशित हैं ।इन पुस्तकों के अतिरिक्त  राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर, राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं  संस्कृति अकादमी, बीकानेर, साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली तथा नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली  आदि से प्रकाशित  46 संकलनों   में  आपकी कविताएं, कहानियां और अन्य रचनाएं संकलित हैं ।

अब तक ये पुरस्कार निर्मोही को मिल चुके हैं

मीठेश निर्मोही को राजस्थानी कहानी  संग्रह 'अमावस एकम अर  चांद' पर  राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर  प्रदत्त  प्रसिद्ध 'मुरलीधर व्यास राजस्थानी कथा साहित्य पुरस्कार' (2005) तथा इससे पहले वर्ष  1987 में उनकी राजस्थानी  कहानी  'बंधण'  पर विपुला (तेलगु पत्रिका) द्वारा  आयोजित  सर्व भाषा कथा प्रतियोगिता में  सैकिंड प्राइज़ मिल चुका है । इन पुरस्कारों के  अतिरिक्त उन्हें वर्ष  1988  में  'ज्ञान भारती, कोटा ' से  हिन्दी  कविता  संग्रह  " चेहरों की तख्तियों पर " महाकवि निराला पुरस्कार, वर्ष  2007 में  हिन्दी  कविता  संग्रह "चिड़िया भर शब्द" पर  राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर  प्रदत्त "सुधीन्द्र कविता पुरस्कार ",वर्ष  2009 में  "ओ मृत्यु ! (हिन्दी  कविता) पर अखिल भारतीय स्तर  राजस्थान पत्रिका प्रदत्त  "सृजनात्मक साहित्य पुरस्कार" , 2010 में  हिन्दी  कविता संग्रह " चिड़िया भर शब्द " पर शिव वीणा संस्थान, कोटा से राष्ट्रीय स्तर पर  " श्रीमती कांता वर्मा साहित्य पुरस्कार ", वर्ष 2012 में  उनके समग्र रचना कर्म  पर " पांचवां अन्तरराष्ट्रीय  हिन्दी  सम्मेलन,तासकंद - उज्बेकिस्तान प्रदत्त  "सृजनश्री सम्मान ",वर्ष 2013 में त्रिसुगंधि  कला ,साहित्य  एवं  संस्कृति संस्थान, जालौर प्रदत्त  "कवि पद्मनाभ सम्मान ", वर्ष 2018 में पन्द्रहवें अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन,मास्को-रूस  प्रदत्त  " श्री  सलेक चंद जैन अन्तरराष्ट्रीय" साहित्य सम्मान तथा  वर्ष 2021 में ही उन्हें  पीस पोएट हू चेंज द वर्ल्ड ( वर्ल्ड  आइकॉन ऑफ लिटरेचर) पुरस्कार  तथा  राजस्थानी कविता संग्रह  'मुगती' पर  'गोइन्का फाउण्डेशन , बंगलौर ' प्रदत्त  एक लाख ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह रुपये के 'मातुश्री कमला गोइन्का राजस्थानी साहित्य पुरस्कार तथा वर्ष 21 में ही इसी कविता संग्रह पर उन्हें  साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली की ओर से प्रतिष्ठित ' साहित्य अकादेमी पुरस्कार' से समादृत  किया जा चुका है ।

मीठेश निर्मोही की अन्य उपलब्धियां

मीठेश निर्मोही की कई  कविताओं और कहानियों  का रूसी,चीनी,इटैलियन , ताजिक तथा  अंग्रेजी के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं में भी अनुवाद हुआ है।  मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर  के स्नातक पाठ्यक्रम में उनका राजस्थानी  कविता संग्रह " आपै रै ओळै - दोळै शामिल है। इसी तरह माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर  के 11वीं  एवं 12 वीं  कक्षाओं  के पाठ्यक्रमों  में राजस्थानी एवं हिन्दी की  कविताएं और कहानियां शामिल रही  हैं । आकाशवाणी  और दूरदर्शन से लगभग चार  दशकों से  नियमित रूप से प्रमुख कवि और कथाकार के रूप में योगदान दे रहे  हैं। आप राजस्थानी  भाषा, साहित्य  एवं संस्कृति अकादमी में  तीन टर्म  तक  सामान्य सभा के सदस्य  रहे हैं । आपकी कहानी "बंधण" के नाट्यान्तरण  के पश्चात राष्ट्रीय  नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली  के शिक्षक,प्रख्यात  रंग  कर्मी दिनेश खन्ना  के निर्देशन  में  मंचन  हुआ । राजस्थान सरकार के  माध्यमिक शिक्षा  निदेशालय से प्रशासनिक अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद आप  "कथा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थान, जोधपुर  के  मानद सचिव के रूप  में अपनी  सेवाएं  दे रहे हैं । 

 

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